pankaj tripathi Movie Review of kaagaz In Hindi zee5
Pankaj Tripathi Movie Review of kaagaz In Hindi zee5
पंकज त्रिपाठी की फ़िल्म कागज़. सोचके देखो टेबल पर रखे न्यूज़ पेपर पर आपका सुन्दर सा फोटो छप कर आये लेकिन नाम के आगे लेट लिखा हो और गले पर फूलो की माला छड़ी हो घबराइए मत डरा नही रहे है हकीकत में ऐसा कारनामा हुआ है जिसमे जीते जागते इंसान को पूरी दुनिया के लिए भूत बना दिया नही समझे तो आओ डिटेल्स में समझाते है।
कहानी – इस मूवी की कहानी सुरुआत होती है भरत लाल से जो अपनी पत्नी के साथ मामूली सी जिंदगी जी रहे है और उनका इनकम का सोर्स है लोगो की खुशियों में बेंड बजाके जश्न मनाना. फिर तब आता है भूचाल जब की जब भरत के कानो में एक ब्रेकिंग न्यूज़ पड़ती है की वो भी की भाईसाब मर चुके है असलियत में नही कागज़ में। सरकारी सिस्टम में उन्हें मार दिया गया है।
होता कुछ ऐसा है की भरतलाल की पत्नी पति को कुछ काम बढाने के लिए कहती है फिर लोन लेने की बात होती है फिर भरत लाल बैंक जाता है और लोन के लिए जमीन गिरवी रखने को बैंक वाले कहते है भरत लाल अपनी जमीन के कागज लेने जाता है तो यह जानकर हैरान रह जाता है कि कागजों के मुताबिक वह मर चुका है और उसकी जमीन उसके चाचा के बेटों को बांट दी गई है।
बस यही से स्टार्ट होती है कहानी की हमारे संविधान में कागज़ का आपकी आइडेंटिटी के लिए बहुत जरुरी है. अब कहानी स्टार्ट होती है भरत लाल की जो खुद को ज़िंदा साबित करने में लग जाते है।
यह कहानी बिलकुल असली है जिसे पंकज त्रिपाठी ने बड़ी बखूबी से निभाया है. इसमे एक कागज़ जिसे हम बहुत मामूली सी चीज मानते है उसकी ताकत और जरूरत आपको दोनों समझा देगी इसमे आपको घर बैठे ही सरकारी सिस्टम देखने को मिल जायेगा.
यह फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है यह कहानी लाल बिहारी मृतक नाम के व्यक्ति के जीवन पर आधारित है जिन्होंने 18 साल भारतीय सिस्टम से लड़ाई के बाद खुद को जीवित साबित किया था।
इस मूवी में गांव का सरपंच जबरदस्त डायलॉग बोलता है, इस देश में राज्यपाल से भी बड़ा लेखपाल होता है और उसके लिखे को कोई नहीं मिटा सकता। यह आज भी हमारी व्यवस्था की सच्चाई है।