पीएम मोदी का बचपन: मगरमच्छ का बच्चा घर लाए, बच्चे की जान बचाई – जानिए ऐसे रोचक किस्से
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम आते ही प्रेरणा, संघर्ष और देशसेवा की छवि उभरती है। पर क्या आप जानते हैं, उनके बचपन के भी कई ऐसे किस्से हैं, जो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं? चलिए, मोदी जी के 75वें जन्मदिन पर जानते हैं उनके बचपन के कुछ ‘हटके’ और मोटिवेटिंग किस्से, जो आपके ब्लॉग के पाठकों को जरूर पसंद आएंगे।
रेलवे स्टेशन पर बनी थी चाय वाले मोदी की पहचान
नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को गुजरात के वडनगर कस्बे में हुआ था। उनका परिवार बहुत साधारण था। बचपन में वे अपने पिता की रेलवे स्टेशन की चाय की दुकान पर मदद करते थे। चाय बेचने का यह अनुभव ही उनकी संघर्षशीलता और जमीन से जुड़ाव की असली बहुत बड़ी मिसाल बनी।
जब मगरमच्छ का बच्चा लाए घर
मोदी जी बचपन से ही जिज्ञासु और साहसी थे। एक बार तालाब में नहाते समय उन्होंने एक मगरमच्छ का बच्चा पकड़ लिया और उसे घर ले आए! उनकी मां ने समझाया कि किसी बच्चे को उसकी मां से अलग करना गलत है, तो नरेंद्र मोदी ने उस मगरमच्छ के बच्चे को वापस तालाब में छोड़ दिया। खुद पीएम मोदी ने इस वाकये को ‘Man vs Wild’ शो में शेयर किया था।
डूबते बच्चे को बचाया
मोदी जी के साहस का एक और किस्सा― बचपन में एक बार उन्होंने तालाब में डूबते एक बच्चे की जान बचाई थी। इस बहादुरी ने उन्हें गांव में ‘हीरो’ बना दिया और हर जगह उनकी तारीफ हुई।
सेवा-समर्पण की सीख बचपन से
सिर्फ साहसी या चतुर ही नहीं, नरेंद्र मोदी दिल से सेवाभावी भी थे। जब वे सिर्फ 9 साल के थे, तब गुजरात में बाढ़ आई थी। मोदी जी और उनके दोस्तों ने मिलकर बाढ़ग्रस्त लोगों के लिए फूड स्टॉल लगाया और पूरी कमाई दान कर दी। इतनी छोटी उम्र में भी उनमें सेवा का वो जज़्बा था, जो आगे जाकर उनकी राजनीति और जनसेवा की सबसे मजबूत नींव बनी।
निष्कर्ष:
पीएम मोदी का बचपन असाधारण किस्सों से भरा पड़ा है–चाहे चाय बेचने का संघर्ष हो, मगरमच्छ का बच्चा पकड़ना हो, या डूबते दोस्त को बचाना हो–हर दस्तान में मेहनत, इंसानियत और साहस की मिसाल दिखती है। क्या आपके अंदर भी ऐसा कोई सपना है, जिसे आप अपने संघर्ष और साहस से हकीकत में बदलना चाहते हैं?
